लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥ प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ अर्थ- हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण https://shivchalisas.com