किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥ हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है सर्पो की माला अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ तुरत षडानन आप पठायउ। https://s30598.ktwiki.com/1019960/5_tips_about_shiv_chalisa_lyricsl_you_can_use_today