कामाख्या मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" काला कलुवा चौंसठ वीर ताल भागी तोर जहां को भेजूं वहीं को जाये मांस मज्जा को शब्द बन जाये अपना मारा, आप दिखावे चलत बाण मारूं उलट मूंठ मारूं मार मार कलुवा तेरी आस चार चौमुखा दीया मार बादी की छाती इतना https://lukasgxlbp.loginblogin.com/43269608/the-best-side-of-वश-करण-म-त-र-क-स-च-ह-ए